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लेखनी प्रतियोगिता -12-Jun-2022 विनाशकारी सोच

सबसे अधिक विनाशकारी होती है सोच 
जो इंसान, परिवार,  समाज, देश, धरती को
विनाश के मुहाने पर लाकर खड़ा कर देती है 
रानी कैकयी की सोच भी कुछ ऐसी ही थी 
उसने अयोध्या का सब कुछ दांव पर लगा दिया 
रावण ने तो प्रतिहिंसा की आग में जलकर 
पूरी लंका को ही विनाश के गर्त में डाल दिया 
धृतराष्ट्र, दुर्योधन, शकुनी भी कुछ कम नहीं थे 
पूरी मानव जाति के विनाश के बीज बो दिये 
श्रीकृष्ण भी उस महाविनाश को टाल नहीं पाये 
और भारत मां ने 18 अक्षौहिणी लाल युद्ध में खो दिये 
यादवों के विनाश का कारण साम्ब की सोच ही थी 
ऐसी ही सोच लेकर हूण,  शक, कुषाण, मंगोल आये 
अरब और मुगल तो अब तक विनाश ही करते आये 
स्वयं का धर्म, संस्कृति ही सर्वश्रेष्ठ है, यह विचार लाये 
इसी सोच के कारण आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त पाये 
इसी सोच के कारण आज धरती विनाश के तट पर खड़ी है 
पर्यावरण विनाश से मानव जाति स्वयं नष्ट होने पे अड़ी है 
कोख में बेटियों को मारकर कैसे विकास हो सकता है 
जिसके हाथों में पत्थर हो, क्या वह आगे बढ सकता है 
वो विनाशकारी सोच ही थी जिसने परमाणु बम गिराए 
वो लोग आज हमको मानवता का पाठ पढाने आये 
जिस समाज में स्त्री को कभी बराबर का हक नहीं मिला 
आप ही बताएं, क्या वह समाज प्रगति कर सकता है भला 
अगर आगे बढना है तो सोच सकारात्मक रखनी होगी 
वर्ना तो यह पृथ्वी विनाश के मुहाने पर एक दिन खड़ी होगी 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
12.6.22 


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17 Comments

नंदिता राय

14-Jun-2022 06:37 PM

बेहतरीन

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Shnaya

14-Jun-2022 02:25 PM

शानदार

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Reyaan

13-Jun-2022 11:50 AM

बेहतरीन

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